Tuesday, November 20, 2012

यूपी में नहीं मनीला में पैदा हुई 700 करोड़वीं संतान

दुनिया की आबादी 700 करोड़ हो गई है। दुनिया की 700 करोड़वीं संतान पैदा हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक ये संतान फिलिपींस की राजधानी मनाली के जोस फैबिला मेमोरियल अस्पताल में पैदा हुआ है और ये लड़की है। बच्ची का नाम डानिका मे कामाचू रखा गया है। बच्ची का वजन ढाई किलो है। पहले संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष का अनुमान था कि सात अरबवां बच्चा भारत के उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाला है। यूपी के दो शहर लखनऊ और बागपत से इस बात के दावे भी उभरकर सामने आए थे। लेकिन बाजी मनीला ने मार ली और लखनऊ, बागपत पीछे रह गए। बागपत में बच्चा पैदा होने से पहले ही मिठाइयां बांटी जा रही थीं। लोग खुशियां मना रहे थे। लोगों का कहना था कि सुन्हेडा गांव में इस बच्चे का जन्म होगा। गांव की पिंकी जिस बच्चे को जन्म देती उसके पैदा होते ही दुनिया की आबादी 7 अरब के आंकड़े को छू लेने वाली थी। मालूम हो कि जनसंख्या वृद्धि के हिसाब से भारत में हर मिनट 51 बच्चे पैदा होते हैं। 20 करोड़ की आबादी वाले यूपी में ये आंकड़ा हर मिनट 11 बच्चों का है। इसी के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा था कि 7 अरबवां बच्चा यूपी में ही पैदा होगा।

क्यो मनाते हैं मुहर्रम?


मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। इस माह की बहुत विशेषता और महत्व है। सन् 680 में इसी माह में कर्बला नामक स्थान मे एक धर्म युद्ध हुआ था, जो पैगम्बर हजरत मुहम्म्द स0 के नाती तथा यजीद (पुत्र माविया पुत्र अबुसुफियान पुत्र उमेय्या) के बीच हुआ। इस धर्म युद्ध में वास्तविक जीत हजऱत इमाम हुसैन अ0 की हुई। पर जाहिरी तौर पर यजीद के कमांडर ने हजऱत इमाम हुसैन अ0 और उनके सभी 72 साथियों को शहीद कर दिया था। जिसमें उनके छ: महीने की उम्र के पुत्र हजऱत अली असगऱ भी शामिल थे और तभी से तमाम दुनिया के ना सिफऱ्  मुसलमान बल्कि दूसरी क़ौमों के लोग भी इस महीने में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का ग़म मनाकर उनकी याद करते हैं। आशूरे के दिन यानी 10 मुहर्रम को एक ऐसी घटना हुई थी, जिसका विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इराक स्थित कर्बला में हुई यह घटना दरअसल सत्य के लिए जान न्योछावर कर देने की जिंदा मिसाल है। इस घटना में हजरत मुहम्मद (सल्ल) के नवासे (नाती) हजरत हुसैन को शहीद कर दिया गया था। कर्बला की घटना अपने आप में बड़ी विभत्स और निंदनीय है। बुजुर्ग कहते हैं कि इसे याद करते हुए भी हमें हजरत मुहम्मद (सल्ल) का तरीका अपनाना चाहिए। जबकि आज आमजन को दीन की जानकारी न के बराबर है। अल्लाह के रसूल वाले तरीकों से लोग वाकिफ  नहीं हैं। ऐसे में जरूरत है हजरत मुहम्मद (सल्ल) की बताई बातों पर गौर करने और उन पर सही ढंग से अमल करने की जरुरत है। इमाम और उनकी शहादत के बाद सिर्फ उनके एक पुत्र हजरत इमाम जैऩुलआबेदीन, जो कि बीमारी के कारण युद्ध मे भाग न ले सके थे बचे। दुनिया मे अपने बच्चों का नाम हजऱत हुसैन और उनके शहीद साथियों के नाम पर रखने वाले अरबो मुसलमान हैं। इमाम हुसेन की औलादे जो सादात कहलाती हैं दुनियाभर में फैली हुयी हैं। जो इमाम जेनुलाबेदीन अ0 से चली।
बाक्स
Mohd Saleem
करबला, इराक की राजधानी बगदाद से 100 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में एक छोटा-सा कस्बा, जहां 10 अक्टूबर 680 (10 मुहर्रम 61 हिजरी) को युद्ध समाप्त हुआ।
इसमें एक तरफ  72 (शिया मत के अनुसार 123 यानी 72 मर्द-औरतें और 51 बच्चे शामिल थे) और दूसरी तरफ  40,000 की सेना थी, इस युद्ध में
हजरत हुसैन की फौज के कमांडर अब्बास इब्ने अली थे। उधर यजीदी फौज की कमान उमर इब्ने सअद के हाथों में थी।
हुसैन इब्ने अली इब्ने अबी तालिब
हजरत अली और पैगंबर हजरत मुहम्मद की बेटी फातिमा (रजि) के पुत्र।
जन्म- 8 जनवरी 626 ईस्वी ,मदीना,  सऊदी अरब ( 3 शाबान 4 हिजरी)
शहादत- 10 अक्टूबर 680 ई् (करबला) इराक) 10 मुहर्रम 61 हिजरी।