Wednesday, October 12, 2011

पैरों से तकदीर लिखने की जिद


Gazala khan
Managineditor

डेहरी-आनसोन किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। किसी शायर की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है अमित कुमार ने। एक हादसे में दोनों हाथ गंवा चुके अमित पैरों से अपनी तकदीर लिख रहा है। शहर के सुभाषनगर निवासी नंदू सिंह के 22 वर्षीय पुत्र अमित अप्रैल 2004 में बिजली के तार की चपेट में आ गये। और उस हादसे में उन्हें दोनों हाथ गंवाने पड़े। पुत्र के इलाज में बेरोजगार पिता ने मकान छोड़कर सारी जमीन बेच दी। कर्ज से लद गये। पर अमित अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से न सिर्फ सदमे से उबरा बल्कि पैरों को ही हाथ के विकल्प रूप में इस्तेमाल करने लगा। अभ्यास से जल्द ही वह पैर से लिखने लगा, अब तो पैर से ही लैपटाप भी चलाता है। पैरों से ही लिखकर 2007 में मैट्रिक तथा 2009 में आइकाम परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। फिलवक्त बीकाम पार्ट थर्ड की पढ़ाई कर रहे हैं। आगे वह एमसीए करना चाहता है। पर बेरोजगार पिता के पुत्र को अपने सपने पूरा करने के लिए सहायता की जरूरत है। पढ़ाई हेतु अपने सांसद, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सबको पत्र लिख मदद मांगी। प्रधानमंत्री के पत्र का कुछ रिस्पांस मिला। प्रधानमंत्री दफ्तर के पत्राचार के आलोक में मुख्यमंत्री के उपसचिव के ज्ञापांक 1537 दिनांक 10 अगस्त के तहत जिले के प्रभारी मंत्री सुखदा पांडेय को अमित को आगे की पढ़ाई हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने को कहा गया था। बात फाइलों से आगे नहीं बढ़ सकी है। बिना हांथों की जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे अमित को अभी सहायता के लिए किसी बढ़ने वाले हाथ का इंतजार है। 
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